sharo ki shayari
चमन
में जो भी थे नाफ़िज़ उसूल उसके थे:
तमाम काँटे हमारे थे और फूल उसके थे:
मैं इल्तेज़ा भी करता तो किस तरह करता:
शहर में फैसले सबको कबूल उसके थे■■
तमाम काँटे हमारे थे और फूल उसके थे:
मैं इल्तेज़ा भी करता तो किस तरह करता:
शहर में फैसले सबको कबूल उसके थे■■
hindi
shayari: हिंदी शायरी
मेरी
मोहब्बत की हद ना तय कर पाओगे तुम:
तुम्हें साँसों से भी ज्यादा मोहब्बत करते है हम;☼☼
तुम्हें साँसों से भी ज्यादा मोहब्बत करते है हम;☼☼
love
shayari: whatsapp हिंदी शायरी
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ReplyDeletebest hindishayari.
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